Monday 20 May 2013

बंजर

पेश ए खिदमत है ...
मेरी झुन्झुलाहाटों  का ये अजीब मंजर था !
मेरे दिल पे  मेरा अपना ही  खंजर  था !

जिन दरख्तों से रोशन था मेरा बागीचा ..
मैं उनसे फासला करके मुड़ा तो सब बंजर था !

दरख्तों= पेड़ (tree)
                              कुमार  विकास ......