जो मुकम्मल मेरी बस ये दुआ हो जाए ,
मेरे घर का पता उसका अपना हो जाए ..!
झोड़ दूंगा खुदा मैं तुझको सताना भी .....
फिर क्यूँ न सजदे में तेरे मेरी जां फना हो जाए !!
मेरे गाँव की पाठशाला की पुरानी पाटी (स्लेट),जिस पन्ने पर जीवन का पहला अक्षर उकेरा,आज वर्चुयल पाटी के रूप में मेरे व्यक्तिगत और सामाजिक जीवन की वो डायरी है जिसपे आस पास बिखरे हुए प्रेम,विरह,वेदना सफलता,असफलता,नफरत,घृणा,यौनिकता के भावों की कहानियाँ ,कहानियों के रूप में या लेख,व्यंग्य और गीतों, गजलों के रूप में दर्ज होते रहेगें! आपसे रिश्ता खास है क्यूँ कि ये सब जीने वाले पात्र हम और आप हैं एक वर्चुयल परिवार की तरह! आपके आने का शुक्रिया और सुझावों और प्रतिकाओं का मुन्तजिर