Saturday 22 June 2013

मेहरबानी



उसने कम से कम इतनी तो मेहरबानी रखी ,
नहीं पास मेरे अपनी कोई ....निशानी रखी !!

मैंने भी उसको सब सामान लौटा दिया ........,
बस हाथ में बंधी एक ताबीज पुरानी ....रखी !!

तुम जमानत में मेरे हिस्से की जिंदगी रख लेना ,
मैं वफ़ा चाहता हूँ शर्त बस यही जुबानी रखी !!

बदनाम ये नाम मोहब्बत में क्यूँ शामिल न हो,
क्या वजह थी जो गांधारी ने आंख कानी रखी !!

लो देख लो कुमार के सितारे भी फलक पे आ गए ,
जो माँ ने सर पे मेरे दुआओं की कमानी रखी !!
                                                                               कुमार विकास

No comments:

Post a Comment