Thursday 8 October 2015

मेरी आवाज सुनो

ये तस्वीर लखनऊ के विकास नगर सडक की है जिसमें बोलने में भी लगभग असमर्थ एक सख्श ने अपने बाक्स पर लिख रखा है मेरी आवाज सुनो मैंने जब ये दृश्य देखा और जो भी मुझे सुनाएी दिया पाटी पर लिख रहा हूँ
 आप शायद देख पा रहे होंगे कि ट्रायसायकिल के एक तरफ वजन करने वाली मशीन रखी है बगल में एक बाक्स रखा है जिसमें ऊपर रूपये डालने की जगह बनी हुएी है और हैण्डल पर एक टार्च बँधी है जो सीधे मशीन की सुईयों पर फोकस है ताकि वजन आसानी से पढा जा सके इसी बाक्स पर लिखा है ऊपर ही गुब्बारे बँधे हैं बगल के बोर्ड पर रेटलिस्ट है वजन करने का २ रू तथा गुब्बारे का ५ रू इस तरह एक विशेष रूप से सक्षम (विकलांग के लिए हिन्दी में एक नया शब्द है विक्षेष रूप से सक्षम NDTV ने ये एक नया और सम्मानजनक नाम गढा है)
व्यक्ति अपनी जीविका उपार्जन कर रहा है और हैरान करने की बात ये है कि कुछ मानसिक रूप से भी लाचारी है जब मैंने बात करी तब ये बात समझ आएी बस एक वाक्य बार बार बोला गया मेरे हर सवाल पर I can't speak Hindi.मैंने जब अंग्रजी में कुछ पूछा तो भी सवाल का जवाब वही रहा मैंने ये तस्वीर उनसे पूछ के ही ली पर वो मुझे कह नहीं पाए कि तस्वीर लूँ या नहीं तो बस ये कह कर कि एक तस्वीर निकाल रहा हूँ आपकी, ये तस्वीर ले ली
इस एक दृश्य ने मुझे सफलता के गढे हुए तमाम तथाकथित मानकों पर फिर से सोचने को मजबूर कर दिया, हो सकता हो ये सख्श सफलता के उन मापदणडों को पूरा नहीं करता हो जो हमने बना रखे हैं मगर मेरी नजर में इस सख्श की जीवटता उन तमाम मापदण्डों से ऊँची है जिस पर मैं और हम सब कभी न कभी अपने आपको तौलने लग जाते हैं कभी पद के नाम पर कभी पैसे के नाम पर और फिर कभी इन सब के आगे पहचान पाने की लालशा से, अपने २ तरीके से आंकलन करते हैं कि हमारे पास क्या है इस सवाल में सन्दर्भ( हमारे पास क्या नहीं है )का ही है
मैं हमेशा सोचता रहा हूँ कि भविष्य निर्माण के क्रम में क्या जरूरी है व्यक्तित्व का विकास या आर्थिक विकास बेशक दोनों जरूरी हैं लेकिन आनुपातिक रूप में चरित्र निर्माण ही प्रथम होना चाहिए आपका चरित्र आपका भविष्य निर्मित कर देगा मुझे नहीं पता चरित्र निर्माण की पाठशाला कहाँ से शुरू होती है लेकिन इतना जरूर पता है ये कहीं न कहीं हमारे अन्दर ही है तस्वीर में मौजूद इस व्यक्ति ने अपने जीवन का केन्द्र बिन्दु उसकी अपनी अक्षमताओं को नहीं बनाया बल्कि उन मौंकों में खुद को तलाशा जो उसके पास मौजूद थे मैं हमेशा मानता रहा हूँ कि अगर सफल होना ही सफलता का मानक है तो एसे मानकों को बदल देना चाहिए किसी की सफलता की कहानी जरूर पढिए लेकिन किसी की असफलता को भी पढिए कुछ अपने उन दोस्तों को भी गले लगाइए जो क्लास के हीरो नहीं हैं बस जीवन में कुछ करते रहिए अपने आज को जीते रहिए क्यूँकि ये ही मौजूद है सच है कि हमारे आने वाले कल की बुनियाद हमारे आज पर है लेकिन देखना कि हम अपने आज और आने वाले कल के बीच अपने गुजरे हुए कल की महत्ता को न भुला दें हमारा गुजरा हुआ कल हमारे अतीत का वो आइना है जो हमें दिखाता है कि हम कल क्या थे और आज क्या हो गए हैं 

4 comments:

  1. Helo vikas,ur blogs depict a true spirit of living..it feels gud to read such articles which gv directions to the ditectionless..they help in understanding life and awake something which hs slept within..keep on writing

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  2. Helo vikas,ur blogs depict a true spirit of living..it feels gud to read such articles which gv directions to the ditectionless..they help in understanding life and awake something which hs slept within..keep on writing

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    1. मुझे नहीं पता आपके जीवन में शब्दों का महत्व क्या है लेकिन आपके शब्दों ने मुझे बेहद खुशी दी शुक्रिया यहां तक आने का खुद को इस काबिल नहीं समझता कि कुछ खास बदल पाऊँ या किसी के जीवन पर कोई प्रभाव छोड जाऊँ लेकिन अगर कुछ पल के लिए भी किसी के जीवन में मेरे शब्दों ने उजाला भरा है तो बस वही पल मेरा वास्तविक जीवन है

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  3. विकास , जिन्दगी वही है जो अपनी राह बना लेती है किसी भी तरह . खुशी का एक ही स्तर होता है . जिजीविषा हर तरह से आदरणीय है उसका मापदण्ड पैसा , शिक्षा या वर्ग कभी नही हो सकता . जो ऐसा सोचते हैं वे असल में जीवन से दूर हैं . आप जमीन ( यथार्थ )से जुड़े हैं , यही सबसे अनमोल चीज है एक रचनाकार के लिये और उससे भी अधिक एक मानव के लिये ..

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