एक शहर की वो जिन्दा कहानी आज भी है
मोहब्बत में धडकते दिलों में रवानी आज भी है
दिन के उजाले झूठी मुस्कानों को ढो रहे हैं
रात जानती है उनकी आँखों में पानी आज भी है
वादों ख्याबों खयालों की चिता तो कब की जल चुकी
कुछ लफ्जों में बची उसकी निशानी अाज भी है
उनसे मिलने का तसव्वुर फिर जाग बैठा जबकि मालूम है
दिल तोड जाने की उनकी आदत पुरानी आज भी है
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